कानपुर डबल मर्डर: आर्थिक तंगी से परेशान पिता ने बेटे-बहू को उतारा मौत के घाट
कानपुर डबल मर्डर: आर्थिक तंगी से परेशान पिता ने बेटे-बहू को उतारा मौत के घाट
कानपुर। चाय का होटल चलाने वाला बुर्जुग दीप कुमार तिवारी इतना शातिर दिमाग होगा इसका किसी को अंदाजा नहीं था। दीप कुमार ने रिश्तेदारों और मकान में रहने वाले किराएदारों को बताया था कि बेटे ने बहू की हत्या करने के बाद खुद की गर्दन काटकर आत्महत्या कर ली। आरोपित ने पहले पुलिस को भी यही कहानी सुनाई थी पुलिस और फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाने के क्रम में दीप का बेंजाडीन टेस्ट कराया था। दीप कुमार के हाथ और कपड़ों में खून के धब्बे मिले थे। जिसके सकारात्मक परिणाम दिखने पर पुलिस का शव यकीन में बदलने लगा पुलिस ने उस पर शिकंजा कसना शुरू किया तो वह टूट गया और हत्या की बात कबूली। आरोपित द्वारा बताई गई कहानी को रिश्तेदार बताने के दौरान जूली के स्वजन से विवाद होते-होते बचा था। जब मकान के किराएदारों और अन्य लोगों को दीप कुमार की सच्चाई पता चली तो उन लोगों के होश उड़ गए। सभी की जुबान पर एक ही बात थी कि परिवार में तो बड़ी एकता थी। फिर दीप कुमार ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया।
बयानों में विरोधाभास और शक बदलता गया यकीन पर: एसीपी सीसामऊ ने बताया कि बेंजाडीन टेस्ट का परिणाम आने के बाद घटनास्थल से लेकर थाने तक कई बार दीप कुमार से पूछताछ हुई थी। उसने हर बार नीचे आने का समय अलग बताया। बाद में उनसे नीचे आने के कारण के बारे में पूछा गया तो वह कभी पानी पीने तो कभी मुंह धुलने की बात कहता रहा। वहीं मकान के लोगों ने यह भी पुलिस को बताया कि था परिवार के लोग बिजली की बचत का ख्याल रखते थे। बिनावजह के लाइट नहीं जलती थी, लेकिन बुधवार रात भर लाइट जलती मिली। एसीपी ने बताया कि तीन से अधिक बार हुई पूछताछ में जो भी उसने बयान दिए उसमें कई विरोधाभास मिलते गए।
दुकान को लेकर चल रहा था तनाव : एसीपी सीसामऊ निशांक शर्मा ने बताया कि घर से कुछ दूरी पर ही दीप कुमार का चाय का होटल और चाट की दुकान थी। जिसका मासिक किराया 24 सौ रुपये महीने का था। करीब 20 साल पुरानी दुकान होने पर मकान मालिक उनसे दुकान खाली करने को लेकर दबाव बना रहे थे। कई जगहों पर दुकानें देखी वह 12 हजार रुपये मासिक किराए पर थीं। व्यापार ठीक से न चलने के चलते वह इतना किराया नहीं दे सकते थे। वहीं कुछ समय पहले उन्होंने करीब डेढ़ लाख रुपये का लोन भी लिया था। उसकी भी किश्त जमा करने में पसीने छूट जाते थे। इन्हीं सब बातों को लेकर वह तनाव में चल रहा था।
गर्भपात और इलाज में खर्च होने पर हुआ था विवाद: शादी के तीन माह के भीतर जूली गर्भवती हो गई थी। जब इसकी जानकारी दीप कुमार को मिली तो उन्हें परिवार में शुभकार्य होने की उम्मीद बढ़ी थी। किन्हीं कारणों से गर्भस्थ शिशु की मौत होने पर गर्भपात कराया गया। इलाज में रुपये खर्च होने पर उसने विरोध किया था तो बेटे और बहू से विवाद भी हुआ था। वहीं कहीं न कहीं दीप कुमार गर्भस्थ शिशु की मौत को बहू पर आत्माओं के साये से जोड़कर देखने लगे थे।
तीन दिन पहले दुकान से लेकर आया था चाकू: एसीपी सीसामऊ ने बताया कि पकड़े गए दीप कुमार ने पूछताछ में बताया कि तीन दिन से वह बहू और बेटे की हत्या की फिराक में था। जिसके लिए वह दुकान से सब्जी काटने वाले बड़े चाकू लेकर घर आया था। बरामद हुए चाकू में पीछे की ओर लोहे की बेट लगी थी। अगर उसे सटीक मौका मिलता तो तीन दिन पहले ही घटना को अंजाम देता।
दंपती की श्वास नली कटी, ज्यादा खून बहने से हुई मौत : शिवम और जूली की हत्या को लेकर डीएम के आदेश और सीएमओ के निर्देश पर दो डाक्टरों के पैनल और वीडियोग्राफी के साथ पोस्टर्माटम कराया गया। जिसमें जिला कारागार के डा. समीर नारायण और कांशीराम ट्रामा सेंटर के डा. बसंतलाल ने पोस्टमार्टम कराया। जिसमें धारदार हथियार के गहरे वार से शिवम और जूली की श्वास नली के साथ ही सर्वाइकल बोन तक कट गई थी जिसकी वजह से काफी मात्रा में खून बहने से दोनों के मौत की पुष्टि हुई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार शिवम और जूली के पेट में करीब 150 से 200 मिलीलीटर अधपचा हुआ खाना मिला है। स्वजन ने बताया कि सभी ने करीब नौ बजे खाना खाया था। सामान्य रूप से भोजन को पचने में 6 से 8 घंटे का समय लगता है, लेकिन इससे पहले ही करीब चार घंटे बाद ही दोनों की हत्या हो गई। जिससे भोजन पच नहीं पाया। वहीं डाक्टरों के पैनल ने बिसरा भी सुरक्षित किया है।